DESK: एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने वायरल ऑडियो पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जो भी मैंने ऑडियो में कहा है, वह सच है. चाचा पशुपति पारस मंत्री पद के लोभ में सत्ता में बने हुए हैं और रामविलास पासवान के अपमान पर चुप्पी साधे हुए हैं. हालांकि उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मौजूदा (विधान परिषद) चुनाव की बात का मैंने कहीं कोई जिक्र नहीं किया है लेकिन ये बात तो सही है कि महापुरुषों का अपमान हुआ, जिसे कोई भी सही नहीं ठहरा सकता. आश्चर्य होता है कि सभी लोगों ने विरोध जताया लेकिन चाचा पशुपति पारस ने मंत्री पद के लोभ में चुप्पी साध रखी है.
जमुई में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि मेरी जिनसें बात हो रही थी, मैनें उनको बोला कि हमलोगों को इस बात को ध्यान में रखने की जरूरत है कि जब आज की तारीख में दलित, महादलित और अनुसूचित जाति के जुड़े महापुरुषों का अपमान हो रहा है तो इस बात को हमलोगों को ध्यान में रखने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से महापुरुषों की तस्वीरों के साथ सलूक किया गया, वह यकीनन हमें दुख पहुंचाता है. मैं फोन पर यही बोल रहा था कि जो केंद्र सरकार में मंत्री हैं, वो हाजीपुर के सांसद भी हैं. मैं अपने चाचा पशुपति पारस की बात कर रहा हूं. मेरे पिताजी की तस्वीरों को रौंदा गया लेकिन उन्होंने एक बार भी विरोध नहीं किया. इसे हमारे समाज के लोगों को याद रखना होगा.
दरअसल, इन दिनों चिराग पासवान का एक कथित ऑडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वह वैशाली के एक कार्यकर्ता से फोन पर बात कर रहे हैं और इशारों-इशारों में वैशाली से आरजेडी उम्मीदवार सुबोध राय को समर्थन की बात कह रहे हैं. प्रत्याशी का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन कहते सुने जा रहे हैं कि रामविलास पासवान का घर खाली कराया गया और उनकी फोटो सहित कई महापुरुषों की फोटो सड़क पर फेंक दी गई और उन्हें कुचला गया. ऑडियो में वे कहते सुने जा रहे हैं कि उनके चाचा पारस ने इस पर कोई विरोध दर्ज नहीं किया.
इस वायरल ऑडियो में आगे चिराग कहते हैं कि इससे अच्छे तो तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने प्रतिक्रिया दी, ट्वीट किया, मैसेज और फोन भी किया. इसलिए अपमान के समय में ऐसे व्यक्ति को देखना चाहिए, जिन लोगों ने साहब (रामविलास पासवान) को धोखा दिया. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान का आवास खाली कराने की केन्द्र सरकार के रवैया को लेकर जेडीयू और बीजेपी के कई लोगों ने मुझको फोन करके कहा कि यह तरीका सही नहीं है लेकिन मंत्री पद के लालच में उनके चाचा पशुपति पारस चुप हैं. मंत्री बनने का लालच मेरे पिता या मेरे परिवार में भी किसी को नहीं है.
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