DESK: पटना के जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में शनिवार से कार्डियक एरिदमिया क्लिनिक शुरू हो गया है. इस क्लिनिक में हार्ट की बेहद तेज या बेहद धीमी धड़कन यानि कार्डियक एरिदमिया का इलाज रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन (आरएफए) तकनीक से होगा. साथ ही यहां अब इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी या ईपीएस तकनीक से हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में कहां पर गड़बड़ी आने एरिदमिया की शिकायत है यह भी जाना जा सकता है. इससे मरीज का बिल्कुल सटीक इलाज हो पायेगा.
शनिवार को मेदांता अस्पताल पटना में इस नई सुविधा को शुरू करने के साथ ही ‘‘ईपीएस और आरएफए कार्यशाला‘‘ का आयोजन किया गया. कार्यशाला में दो मरीजों का आरएफए तकनीक से बिना पेसमेकर लगाए इलाज कर मेदांता गुड़गांव से आए डॉ कार्तिकेय भार्गव ने डॉक्टरों को दिखाया. अब वह दोनों मरीज बिल्कुल स्वस्थ हैऔर उन्हे डिस्चार्ज कर दिया गया है. इसमें देश के प्रसिद्ध कार्डियक इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट डॉ कार्तिकेय भार्गव ने कार्डियक एरिदमिया के आधुनिक तकनीक से इलाज के बारे में जानकारी दी. डॉ भार्गव मेदांता हार्ट इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी और पेसिंग के डायरेक्टर हैं. उनके पास आरएफ एब्लेशन और पेसमेकर से संबंधित उपकरणों (आईसीडी, सीआरटी आदि) के प्रत्यारोपण के सभी मामलों में व्यापक विशेषज्ञता है.
वहीं एरिदमिया मरीजों के इलाज की इस नयी सुविधा की जानकारी देते हुए मेदांता पटना के क्लिनिकल कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि हार्ट के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी में गड़बड़ी आने पर हार्ट की धड़कन या तो बहुत तेज हो जाती है या बहुत धीमी हो जाती है. हमारे हार्ट की धड़कन आमतौर पर प्रति मिनट 70-80 बार होती है लेकिन अगर यही धड़कन बहुत तेज हो जाए और प्रति मिनट 110-120 बार हमारा हार्ट धड़कने लगे तो यह स्थिति हार्ट फेल्योर का कारण बनती है. धड़कन तेज होने का कारण हमारे हार्ट की इलेक्ट्रिकल सिस्टम में होने वाला शार्ट सर्किट है. ऐसे में नयी तकनीक रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन या आरएफए के द्वारा हम शार्ट सर्किट का कारण बनने वाले तार को ही हटा देते हैं.
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी या ईपीएस वह तरीका है जिसके जरिए हम पता लगाते हैं कि हार्ट के किस एरिया में शार्ट सर्किट हो रहा है. इसी आरएफए और ईपीएस तकनीक का इस्तेमाल शनिवार को दो मरीजों के इलाज में डॉ कार्तिकेय भार्गव की उपस्थिति में मेदांता पटना के डॉक्टरों ने किया है. डॉ अजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आरएफए तकनीक से हार्ट की बहुत तेज और अनियमित धड़कन को नियंत्रित किया जा सकता है. आरएफए से होने वाला इलाज 98 प्रतिशत तक सफल होता है. किसी भी उम्र के लोगों का इस तकनीक से इलाज कर सकते हैं. अगर हार्ट की इस अनियमित धड़कन को ठीक कर दिया जाता है तो हार्ट फेल्योर को रोका जा सकता है और फेल हो चुके हार्ट को दुबारा से रिवर्स किया जा सकता है, या काम लायक बनाया जा सकता है.
कार्यशाला में मेदांता अस्पताल पटना के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी और डायरेक्टर डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि हमारे यहां हार्ट से संबंधित मरीजों को और बेहतर इलाज मुहैया करवाने के लिए ‘‘ईपीएस और आरएफए‘‘ की सुविधा उपलब्ध हो गयी है. अस्पताल बिहार में कार्डियोलॉजी से संबंधित सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए दृढ़ संकल्पित है. अब हमारे डॉक्टर मरीजों का ज्यादा बेहतर और उत्कृष्टता से इलाज कर पायेंगे. उन्होंने कहा कि कार्डियक एरिदमिया क्लिनिक शुरू होने से हार्ट की अनियमित धड़कन की शिकायत वाले मरीजों को विशेष लाभ मिलेगा.
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