NAUGACHIA: वट सावित्री पूजा के मौके पर सोमवार को नवगछिया अनुमंडल क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्यवती होने और पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा की। इस दौरान महिलाओं ने सभी सोलह श्रृंगार कर, कलश-जल, पकवान, तार के पंखे के साथ और बरगद के पेड़ में रंगीन कच्चा धागा बांधकर 11 बार वट की परिक्रमा की। कहा जाता है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था। इसलिए सुहागिन महिलाएं भी आज के दिन ये विधान उसी माध्यम से करती आ रही हैं।
वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों का हुजूमः सोमवार सुबह से ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती नजर आईं। इस दौरान महिलाओं ने अपने पति के सुहाग को अमर रहने की कामना की। साथ ही पंडित जी से सत्यवान की कथा भी सुनी। इस मौके पर बरगद के पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाओं का हुजूम रहा। बरगद पूजा के बाद स्थानीय मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की। इस दौरान बिहपुर के मरवा स्थित बाबा ब्रजलेश्वरनाथ धाम समेत सभी मंदिरों में सुहागिनों व श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। मेहंदी लगवाने के लिए जुटी महिलाएं, इस दौरान नवगछिया, खरीक, बिहपुर, झंड़ापुर, मधुरापुर आदि बाजारों के ब्यूटी पार्लर में नवविवाहित महिलाएं मेंहदी लगवाने पहुंची।
ये हैं मान्यताएंः बताया जाता है पतिवर्ता स्त्री सावित्री ने अपने पति का प्राण हरने आये यमराज से जिद्द कर वट वृक्ष के निचे ही अपने पति के प्राण वापस लौटा लिया था। उसी पौराणिक कथाओं पर आज भी महिलाएं व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और पति के सुहाग को अमर रहने की कामना करती हैं। दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था। ‘पौराणिक कथानुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष पूजन किया था। भगवान विष्णु ने इस पूजा से खुश होकर माता लक्ष्मी को वरदान दिया और कहा कि जो भी सुहागिन महिला वट वृक्ष के नीचे मेरी आराधना करेगी उसका व्रत सफल होगा।
पित्र दोष से प्राप्त होती है मुक्तिः मान्यता के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने से पित्र दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।6 नारायणपुर नवटोलिया के पंडित सुनील कुमार झा ने बताया कालसर्प दोष और पित्र दोष के लिए करें विशेष पूजा पाठ, जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है या पित्र दोष है उन्हें इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए तीन सूक्त का पाठ करवाना चाहिए भगवान विष्णु को विशेष अर्घ्य दे कर के पूजा करना चाहिए इससे इस दोष से मुक्ति मिल सकती है।
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